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हिन्दी विभाग की स्थापना वर्ष 1987 में की गयी। अपने आरम्भ से ही विभाग में अध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ हिन्दी के विकास तथा प्रसार हेतु काव्यगोष्ठी, साहित्यिक परिचर्चा की परंपरा रही है। विगत एक दशक से कार्यशालाओं, नाट्य प्रस्तुतियों के साथ साहित्य-वार्ता जैसे बहुआयामी शैक्षणिक गतिविधियों का शृंखलाबद्ध आयोजन किए जा रहे हैं। विद्यार्थियों में लोक तथा शिष्ट साहित्य को आधुनिक दृष्टि से परखने की योग्यता विकसित करना, भूमंडलीकरण के दौर में अपना स्थान निर्धारित करते हुए लोक का विश्व से और विश्व का लोक से अंतःसंबंध स्थापित करना अध्ययन और अध्यापन का उद्देश्य है। हिन्दी विभाग का लक्ष्य ऐसे शोध कार्य करने-कराने का है जिससे समाज को मूल्यपरक दिशा प्राप्त हो सके। हिन्दी विभाग छात्रों को साहित्य के रचनात्मक क्षेत्र में ही नहीं बल्कि शिक्षण कार्य, स्वयं सेवी संगठनों, प्रेस और रंगमंच से भी जोड़ता है। हिन्दी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए ‘स्वनिम’ त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन इसकी महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

विभाग का दृष्टि

हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओँ तथा वैश्विक साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए समाज में साहित्यिक हस्तक्षेप की प्रवृत्ति निर्मित करना

विभाग का उद्देश्य

• अन्य भारतीय भाषाओं में लिखे जा रहे साहित्य तथा विश्व साहित्य के परिप्रेक्ष्य में हिंदी साहित्य और हिंदी भाषा की सम्भावनाओं का अध्ययन । • सामाजिक परिवर्तन के संदर्भ में हिन्दी साहित्य का पाठ-पुनर्पाठ। • साहित्य के माध्यम से समय और समाज का विमर्शमूलक अध्ययन । • बाज़ार में हिन्दी और हिन्दी का बाज़ार ।

विभाग की उपलब्धियां

• साहित्य वार्ता का नियमित संचालन • स्वनिम पत्रिका का प्रकाशन • विभागीय शिक्षकों द्वारा शोध पत्र का प्रकाशन व अन्य सभी मुद्दों पर लेखन व प्रकाशन और वक्तव्य